· इस ' पवित्र मैत्री समाज सक्रियण संकेत ' के उपर ध्यान तथा विचार,:
2.
अलेक्जेण्डर प्रथम ने बाद मेर्ंर् इसाइ शक्तियों के बीच पवित्र मैत्री संगठन की योजना प्रस्तुत की थी ।
3.
जब कभी मोहन उसे गरीब और भिखमंगा जानकर माँ से अभिमान करके पिता की नजर बचाकर कुछ साग-रोटी लाकर दे देता, तब उस साईं के मुख पर पवित्र मैत्री के भावों का साम्राज्य हो जाता।
4.
~ स्वामी अमीनन्द जो रजत बैगनी मैत्री स्वामी समाज को आदेश करते हैं वह लोग पवित्र मैत्री के वास्तविकता मैं जागृत होते हैं, जो मैत्री से पूर्ण विचार, कार्य तथा भावनात्मक प्रकाशन के माध्यम से एक अहिंसात्मक दुनियाँ को जन्म देती हैं.
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~ स्वामी अमीनन्द जो रजत बैगनी मैत्री स्वामी समाज को आदेश करते हैं वह लोग पवित्र मैत्री के वास्तविकता मैं जागृत होते हैं, जो मैत्री से पूर्ण विचार, कार्य तथा भावनात्मक प्रकाशन के माध्यम से एक अहिंसात्मक दुनियाँ को जन्म देती है.